बहते अश्कों की जुबाँ नहीं होती,
कभी लफ्जों में मोहब्बत बयाँ नहीं होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
क्योंकि किस्मत हर किसी पर मेहरबान नहीं होती.
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
दिल से चाहते हैं हर सुबह उठाये तुमको
प्यार से दिल के करीब लाये तुमको
कोई मौका न छोड़े कभी भी हम
हर सुबह शायरी से उठाये तुमको
Good morning Jaan
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक