गुज़र रहा हू यहाँ से भी गुज़र जाउँगा..
मै वक़्त हू कहीं ठहरा तो मर जाउँगा !!!
इशरत ऐ क़तरा है दरिया मैं फ़ना हो जाना…
दर्द का हद् से गुज़ारना हैं दवा हो जाना ॥
दिल ए नादाँन तुझे हुआ क्या है !!!
आख़िर ईस दर्द कि दवा क्या हैं ॥॥॥
तुम मुझे कभी दिल, कभी आँखों से पुकारो ग़ालिब,
ये होठो का तकलुफ्फ़ तो ज़माने के लिए है|
हाथो की लकीरों पे मत जा ए ग़ालिब,नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते|