एक तो कातिल सी नज़र
ऊपर से काजल का कहर
काँटों भरी फूल में तुमने मेरा दामन बिछा दिया।
मेरे करीब रहकर तुमने मेरे दिल को जला दिया।।
ऐसी दास्तान छोड़ जाऊँगा अपनी जमाने में…
कि जमाने को जमाने लगेंगे मुझे भुलाने में…
आदमीमरने के बादकुछ नहीं सोचता,आदमीमरने के बादकुछ नहीं बोलता,कुछ नहीं सोचनेऔर कुछ नहीं बोलने परआदमीमर जाता है।
अब ज़िंदगी तेरे दिल में गुजारनी है,तो मुझे ये गुनाह भी कबूल है,सज़ा साल, दो साल का मत रखनाताउम्र ही मेरी मोह्हबत का मूल है l
आदतन तुमने कर दीए वादे,
आदतन हमने एतबार किया…
तेरी राहों में बारहाँ रुक कर,
हमने अपना ही इंतज़ार किया…
अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब,
यह गुनाह हमने जो एक बार किया…!!