लौटकर आया हूँ फिर से मैदान मै?
अंदाज वही है सिर्फ तरीका बदल गया है!
सुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखें
सुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं
शहर भर मेँ एक ही पहचान है ‘हमारी’
सुर्ख आँखे,गुस्सैल चेहरा और नवाबी अदायेँ’
आप की याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
"सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है "