ये ना पूछ कितनी शिकायतें हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी,
सिर्फ इतना बता की तेरा कोई और सितम बाक़ी तो नहीं।
मिलावट है तेरे इश्क में,
इत्र और शराब की,
कभी हम महक जाते है,
कभी हम बहक जाते हैं.
पल पल से बनता है एहसास,एहसास से बनता है विश्वास,विश्वास से बनते हैं कुछ रिश्ते,और उन रिश्तों से बनता है कोई खास।
ना जियो धर्मं के नाम परना मरो धर्मं के नाम परइंसानियत ही है धर्मं वतन का बस जियो वतन के नाम पर..
जरूरते भी जरुरी है, जीने के लिये लेकिन,तुझसे जरूरी तो, जिंदगी भी नहीं'...