"दोस्ती से प्यार तक एक 'रेखा' खींच दी,बातों ने उनकी ना जाने कब मोह्हबत रच दी,ख्वाहिशें ना जाने कितना 'अंकुर' हो गये,आग दिल में लगा, उसने मेरी दुनियाँ तज दी l"
"वो बार-बार DP बदल कर लगाते है,उन्हें पता ही नहीं,वो कितने खूबसूरत नज़र आते है,हर बार महज बदलते है कपड़े,दिल तो वही, सुन्दर सा लाते है l
अब ज़िंदगी तेरे दिल में गुजारनी है,तो मुझे ये गुनाह भी कबूल है,सज़ा साल, दो साल का मत रखनाताउम्र ही मेरी मोह्हबत का मूल है l
दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया.