हमने चाहा था जिसे उसे दिल से भुलाया न गया,
जख्म अपने दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी प्यार करता है दिल उनसे,
कि बेवफाई का इल्ज़ाम भी उस पर लगाया न गया।
तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है
कैसे एक लफ्ज़ में बयां कर दूँ
दिल को किस बात ने उदास किया
Jis ke naseeb mein hon zamaney ki thokarein…!!
Us bad-naseeb sey na sahar’on ki baat ker…
बिखरे थे जो अल्फ़ाज इस कायनात मेंसमेंटा है उन्हें चंद पन्नों की किताब मेंअब दुआ नहीं मांगता बस पूंछता हुं खुदा सेअभी कितनी सांसे और हैं हिसाब में..??