कांटे समझ रहे थे हमारा है दबदबा…
शाखें झुकी हुई थीं फूलों के बोझ से
दिल का दीपक कुछ ऐसे जल जाये,पत्थर में भी मोह्हबत उतर आये
मेरी खुशी और उदासी का फासला इतना सा था,
एक फोन, एक मैसेज, एक मुस्कान जितना सा था l"❤
कही से ये फिजा आई
ग़मों की धुप संग लायी
खफा हो गये हम, जुदा हो गये हम....
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद
मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था ।
मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ।!!