"वो कागज़ और मैं, कलम सा लगता हूँ,उसे मिलने के बहाने, रोज लिखता हूँ,स्याह मोह्हबत का,कागज़ चुम लेता है,कोई गज़ल फिर, उसके नाम कर देता हूँ l"
दो मिनट मिल जाएँ आँखे, तो वक़्त ठहर जायेगा,जानती हो!एक समंदर दो आँखों में उतर आएगा l
हर पल तू महफूज रहे
कभी मुश्किलों से ना हो तेरा सामना
ज़िन्दगी तेरी खुशहाल रहे
बस खुदा से है ये इल्तिजा
I love you. Good Morning
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
मैं अगर लिखना भी चाहूँ,
तो भी शायद लिख ना पाऊं उन लफ़्ज़ों को,
जिन्हे पड़कर आप समझ सको कि
मुझे आपसे कितना प्यार है !!
कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग-रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है।