जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर…
भेजा वही काग़ज़ उसे हम ने लिखा कुछ भी नहीं!
अंदाज़ भी निराला है उनका
वो हो कर खफा मुझ से
मेरे गुमशुदगी की वजह पूछते हैं
छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
मेरे दिल के किसी कोने में अब कोई जगह नहीं,कि तस्वीर-ए-यार हमने हर तरफ लगा रखी है।
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली