छुप गए वो साज़-ए-हस्ती छेड़ कर
अब तो बस आवाज़ ही आवाज़ है
तू मुहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो अब तक बाँहों में होती
एक तू तेरी आवाज़ याद आएगी,
तेरी कही हुई हर बात याद आएगी,
दिन ढल जाएगा रात याद आएगी,
हर लम्हा पहली मुलाकात याद आएगी!!
बडी लम्बी खामोशी से गुजरा हूँ मै,किसी से कुछ कहने की कोशिश मे।
लगता है मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर …
मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी यूँ ही तो नहीं है …