दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे
सजा न दे मुझे बेक़सूर हूँ मैं,थाम ले मुझको ग़मों से चूर हूँ मैं,तेरी दूरी ने कर दिया है पागल मुझे,और लोग कहते हैं कि मगरूर हूँ मैं।
दूरियों की ना परवाह कीजिये,
दिल जब भी पुकारे बुला लीजिये,
कहीं दूर नहीं हैं हम आपसे,
बस अपनी पलकों को आँखों से मिला लीजिये।
ये कैसा अजब सा प्यार है जिस में ना मिलने की आस ना कोई तकरार है ..दूरियाँ इतनी की सही न जाएँ फिर भी निभाने की चाह बरक़रार है..
तू पास नहीं तो क्या हुआ मोहब्बत तो हम तेरी दूरियों से भी करते है|