उसका गुस्सा और मेरा प्यार एक जैसा है,क्योंकि ना तो उसका गुस्सा कम होता हैं,और ना ही मेरा प्यार।
उसका गुस्सा और मेरा प्यार एक जैसा है,
क्योंकि ना तो उसका गुस्सा कम होता हैं,
और ना ही मेरा प्यार।
"ज़िंदगी तेरे किताब को, शायद कभी ना पढ़ पाऊँगा,एक शब्द पे ठहरता हूँ, तो दिन गुजर जाता है l"
"थक सी गई है नज़र, इंतजार में उसके,अब दिखे वो तो आँखों का रविवार हो l"
दिल मुझे उस गली में ले जा कर
और भी ख़ाक में मिला लाया
दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी,
मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ।
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली