कागज़ पे लिखी कुछ लाइन ऐसी भी होती है,
किसी को हँसा और किसी को रुला जाती है,
चाहा तुमको बस यही है हमारी भूल।
कांटे निकले उसमें, जिसे समझा कमल का फूल।।
जो लोग ये समझ नहीं पाते कि औरत क्या चीज़ है,उन्हें पहले ये समझने की जरूरत है कि"औरत कोई चीज़ नहीं है"।
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया
माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
हमने चाहा था जिसे उसे दिल से भुलाया न गया,
जख्म अपने दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी प्यार करता है दिल उनसे,
कि बेवफाई का इल्ज़ाम भी उस पर लगाया न गया।
तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे,
मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।