वाह मौसम आज तेरी अदा पर दिल खुश हो गया…याद मुझे आई अौर बरस तू गया
'प्रेम' एक ऐसी यात्रा हैजहां हमखुद 'से'खुद 'को'मिलाने के लिएदूरी तय करते हैं।
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
अपनी रातें उनके लिए ख़राब करना छोड़ दो दोस्तों,जिनको ये भी परवाह नहीं की तुम सुबह उठोगे भी या नहीं।
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो;मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो;मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना;मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो।