'प्रेम' एक ऐसी यात्रा हैजहां हमखुद 'से'खुद 'को'मिलाने के लिएदूरी तय करते हैं।
तू मुहब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो अब तक बाँहों में होती
जब भी करीब आता हूँ बताने के लिये,जिंदगी दूर रखती हैं सताने के लिये,महफ़िलों की शान न समझना मुझे,मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिये।
खुदा की फुर्सत में एक पल आया होगा,
जब उसने तुझ जैसा प्यारा इंसान बनाया होगा,
न जाने कौन से दुआ कुबूल हुई हमारी,
जो उसने मुझे तुझसे मिलाया होगा
हर बात में आंसू बहाया नहीं करते,दिल की बात हर किसी को बताया नहीं करते,लोग मुट्ठी में नमक लेके घूमते है..दिल के जख्म हर किसी को दिखाया नहीं करते।