उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम…
उसके गमों को हंसी से सजा रहे थे हम…
फिर जलाया उसी दीये ने मेरा हाथ…
जिसकी लौ को हवा से बचाये जा रहे थे हम…
काश कहीं से मिल जाते वो अल्फाज हमें भी जो तुझे…
बता सकते कि हम शायर कम तेरे दीवाने ज्यादा हैं…
आज ना पूछो मुझसे मेरी उदासी का सबब,बस सीने से लगा कर मुझे रूला दे कोई।
तुम्हारे बाद मोहब्बत की ही नहीं हमनेजिसे भी चाहा .. उसे धोखा दिया।
माँ की सी मुझे नज़र दे ऐ खुदाकि ज़माना मुझे फिर बुरा न लगे।
"सारी दुनियाँ के फेसबुक पे, रंगीन तस्वीर,एक दिन में, एक युग का आलम बताते रहे,वो अपनी खबर की कोई तस्वीर बता देती,ये सोच के हम कई बार फोन उठाते रहे l"