बड़ी दूर तक जाने का इरादा है,यही एक छोटा सा वादा है lमेरे गमो को चुम लेती है वो ,उसकी खुशी हो जाने का इरादा है l
खो गयी है मंजिले, मिट गए है सारे रस्ते,
सिर्फ गर्दिशे ही गर्दिशे, अब है मेरे वास्ते.
काश उसे चाहने का अरमान न होता,
मैं होश में रहते हुए अनजान न होता
न प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको,
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान न होता.
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.