यह चमत्कार केवल “विश्वास” ही कर सकता हैं,
जो पत्थर को भी “भगवान” कर सकता हैं.
काग़ज के फूल भी महकते हैं,
कोई देता है, जब मोहब्बत से!
तेरी खामोशी, अगर तेरी मजबूरी है,तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी है.
किसी की याद से इस उम्र में दिल की मुलाक़ातें
ठिठुरती शाम में इक धूप का कोना ज़रूरी है
जिन फूलों को संवारा था
हमने अपनी मोहब्बत से,
हुए खुशबू के काबिल तो
बस गैरों के लिए महके।
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!