काग़ज के फूल भी महकते हैं,
कोई देता है, जब मोहब्बत से!
उसे गजब का शौंक है हरियाली का,
रोज आकर मेरे जख्मों को हरा कर जाता है.
किसी की याद से इस उम्र में दिल की मुलाक़ातें
ठिठुरती शाम में इक धूप का कोना ज़रूरी है
हक़ से अगर दे दो,
नफरत भी कबूल है हमे,
खैरात में तो हम…
तुम्हारी महोब्बत भी न ले.
मेरी दोनों कोशिशें कभी कामयाब ना हो सकी . .
पहला तुझे पाने की फिर तुझे भूल जाने की…
Tujh Se Nahi Waqt Se Naraz Hu Main
Jo Kabhi Tumko Mere Liye Nahi Milta…!!!