मुफ्त मे अहसान न लेना यारों ,,,
दिल अभी ओर भी सस्ते होंगे बाज़ार में …….!!!
इकरार बदलते रहते है… इंकार बदलते रहते हैं,
कुछ लोग यहाँ पर ऐसे है जो यार बदलते रहते हैं।
शायर तो हम
“दिल” से है….
कमबख्त “दिमाग” ने
व्यापारी बना दिया.
जिस प्रभात से, परमात्मा का स्मरण हो जाये,
वह प्रभात, सुप्रभात हो जाता है।
तुझे ना पा सके तो भी सारी जिंदगी तुझे प्यार करेंगे
ये जरूरी तो नहीं जो मिल ना सके उसे छोड़ दिया जाये