मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है, जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं…
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं|
बस इतनी सी ही कहानी थी मेरी मोहब्बत की मौसम की तरह तुम बदल गए, फसल की तरह मैं बरबाद हो गया|