क्या करोगे तुम मुझसे ऐसी मुलाकातजहा बिछड़ने का रिवाज न हो.
क्या करोगे तुम मुझसे ऐसी मुलाकात
जहा बिछड़ने का रिवाज न हो.
"ये इश्क़ की अजीब बीमारी हैहर धुन से अपना राब्ता लगता हैकंही दूर, कैसी भी आवाज़ हो,आवाज़ उसने दी ऐसा लगता हो "
"अपने दिल से,एक झूठ रोज बोल देता हूँ,मोह्हबत नहीं है तुमसे, ये सोच लेता हूँ,डर है राज खुलते, तुम ख़फ़ा ना हो जाओ,जितनी हो बहुत हो, ये किस्मत मान लेता हूँ l
चार दीवारों के अलावा भी,घर में कुछ होता है,दो बाहें होती है औरएक दिल होता है...
Pyar Bhari shayari
है प्यार नाम जिसका, एक ऐसी है क़ैद दोस्तों,
ज़िन्दगी बीत जाती है पर सज़ा ख़त्म नहीं होती |