उन्हें इश्क़ हुआ था
मझे आज भी है....!
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।
सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के की कोई मनाने नहीं आएगा,
हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही |
वो शायद मतलब से मिलते हैं,
मुझे तो मिलने से मतलब है.!
जीत किसके लिए,हार किसके लिए,जिन्द गी भर यह तकरार किसके लिए,जो भी आया है वो जाऐगा एक दिन,फिर ये अहंकार किसके लिए।..