तोता ना मरा और ना ही...

बादशाह अकबर एक बार अपन राज्य के बाज़ार में घूमने के लिए गए हुए थे. वहां पर तरह तरह की चीज़ें बिक रही थी, कहीं पर मिठाइयां,कहीं पर सुंदर पोशाक तो कहीं पर खेल खिलौने. घूमते घूमते उन्होंने देखा की एक बहेलियाँ वहां पर कुछ चिड़िया और जानवरों को बेच रहा था. अकबर ने उसके पास जाकर देखा तो उसके पास एक बहुत ही सुंदर तोता मौजूद था. 

अकबर को वो तोता बहुत पसंद आया, उन्होंने उस पक्षी वाले से उस तोते को उचित मूल्य पर ख़रीद लिया. उसे लेकर वो राजमहल लौट आये. अब वो अपना पूरा समय उसी तोते के साथ ही बिताने लगे, वो तोता दिन प्रतिदिन उन्हें बहुत पसंद आने लगा. अकबर ने उस तोते के लिए तरह तरह के आम, अंगूर और फलों की व्यवस्था की और अपने सभी नौकरों को हिदयात दी की उस तोते का खास ध्यान रखा जाये और अगर किसी ने भी अगर लापरवाही की या ये कहा की तोता मर गया तो उसे उसी समय फाँसी पर चढ़ा दिया जायेगा. 

वक़्त बीतता गया एक दिन वो तोता बीमार हुआ और मर गया. अब सारे दरबारी और नौकर परेशान हो गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था की बादशाह को कैसे इस बात की सूचना दी जाये. बहुत देर सोचने के बाद भी कोई हल नहीं मिला तो वो सब बीरबल के पास गए और उन्हें सारी बात बता दी. 

बीरबल ने उन सभी को महल वापस भेज दिया और उनको सांत्वन दिया की ये बात वो खुद जहाँपन को बताएँगे और वो किसी को भी फाँसी पर नहीं चढ़ाएंगे. 

बीरबल कुछ देर बाद दरबार में गए और उन्होंने अकबर से कहा, " जहाँपन वो आपका तोता!" अकबर ने तुरंत पूछा क्या हुआ तोते को? बीरबल ने फिर कहा, " कुछ नहीं बस वो कुछ बोल नहीं रहा हैं और.." और क्या बीरबल? बादशाह ने पूछा.  और वो कुछ खा भी नहीं रहा हैं? तो क्या तोता मर गया? अकबर ने पूछा.  जी नहीं महाराज बस वो बोल नहीं रहा है. तो साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहते की वो मर गया. लेकिन जहाँपन वो तो मैं नहीं कह सकता बस इतना ही कहूंगा की वो तोता कुछ भी नहीं कर रहा हैं और मुझे छोड़ दीजिये. अब अकबर को अपने आदेश के बारे में याद आया और वो ज़ोर ज़ोर से हसने लगे. उन्होंने बीरबल को शाबाशी दिया और नौकर को तोते को दफ़नाने के लिए आदेश दिया.