खुशामद गजब है जरा सा रूठ जाने पे,
कैसे संभालोगे खुद को दिल के टूट जाने पे!
तुम्हारा आगोश देता है सुकून-ए-इश्क़ मुझको,ज़िन्दगी भर अपनी बाहों में यूँही क़ैद रखना मुझे
तुम्हारा आगोश देता है सुकून-ए-इश्क़ मुझको,
ज़िन्दगी भर अपनी बाहों में यूँही क़ैद रखना मुझे
है पेट की आग कुछ ऐसी ,दो रोटी से कहाँ बुझा पाता हूँ lघुमता हूँ दर-दर कुछ इस तरहअपने घर पर मेहमान हो जाता हूँ l
बड़ा नेक रिश्ता है फेफड़ों का पेड़ों के साथजो एक का उत्सर्ग है वही दूसरे का आहार
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
जो मेरे मुक्कदर में है वो खुद चल कर आएगा,
जो नहीं है उसे अपना खौफ लाएगा !