अनजान से रास्तों पर
अकेली जा रही हूं
तेरी मोहब्बत में पागल होकर
दर-दर की ठोकरें खा रही हूं.
तुम क्या हो ये कुछ पता नहीं
तुम इश्कशहर हो या पूरा हिंदुस्तान हो
मुहब्बत मेरी भी बहुत असर करती है,याद आएंगे बहुत जरा भूल के देखो।
इतनी दिलकश आँखें होने का ये मतलब तो नहीं…
कि जिसे देखो उसे दिवाना कर दो…
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है