किसी को चाहना आकर्षण हो सकता है,
पर उसी को चाहते रहना अवश्य प्रेम है।
जो बुझ गए रात में चरागों की लौ बढ़ाते हुए।
मत बढ़ाओ हमारी ओर कदम इतने
की फिर दुनिया तुम्हें अपने वजूद से जुदा कर दे
इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका,आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं।
रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज,इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने।
मोहब्बत नाम है जिसका वो ऐसी क़ैद है यारों,कि उम्रें बीत जाती हैं सजा पूरी नहीं होती।