भोली सी अदा कोई फिर इश्क की जिद पर है,फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है।
जो दिखा तुम्हारी आँखों में अश्क ,ये दर्द थोड़ा जादा बढ़ गया lहो गया फिर से तुमसे इश्क ,ये दिल फिर से नया हो गया l
बेतहाशा इश्क जो तुमसे करने लगे है,यही वजह है की और तन्हा रहने लगे है lपर तन्हाई में भी तन्हा नहीं हूँ मैं,मेरे साथ मेरा यारा,हमेशा रहने लगा है l
बीत रहा सावन बिन तेरे संग,बरस रहा बादल आसुंओ के रंग lआओ के जागे की मन में नये उमंग,हाय! ये सावन, हाय!दिल की जंग l
रोज सुबह पेड़ों कोखड़े हो लगातार देखता हूँ,ये हमें सिखाते है,हर मौसम में जिंदा रह जाना l
लेके चले थे तूफान ठोकरों का डर ना था
संग था कारवां बिछड़ने का गम ना था
अर्ज़ी थी साथ रहने की उम्र भर लेकिन मिलने का वक़्त ना था
कोशिश तो बोहत की मगर नज़रें मिलाने का दम ना था