ऐ हवा तू ये जुर्म ना करा कर,
तू उसे यूँ छूआ ना कर….
बुरे कर्म करने नहीं पड़ते हो जाते है,
और अच्छे कर्म होते नहीं करने पड़ते हैं।
*अपनी आंखों को* *जगा दिया हमने**सुबह का फर्ज अपना* *निभा दिया हमने**मत* *सोचना कि बस* *यूं ही तंग किया हमने**उठकर* *सुबह भगवान के साथ**आपको भी याद किया हमने**सुप्रभात*
हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
“उसकी याद हमें बेचैन बना जाती हैं,
हर जगह हमें उसकी सूरत नज़र आती हैं,
कैसा हाल किया हैं मेरा आपके प्यार ने,
नींद भी आती हैं तो आँखे बुरा मान जाती हैं.”