जुल्फें तुम्हारी परेशान करती है अक्सर,उठती है लहरें समंदर की तरह !!
ज़िस्म के ज़ख्म हो तो मरहम भी लगाएं,
रूह के नासुरों का हकीम मिलता नहीं हमें!
कभी कभी वक़्त के साथ सब ठीक
नहीं सब ख़तम हो जाता है...
कविता के कई मतलब हो सकते हैपर कविता कभी मतलबी नहीं हो सकती !!
"ना जाने क्यों इतनी बेचैनी बढ़ जाती है,कोई बात कभी जहन में अटक जाती है,वैसे तो सब बेहतर है, कोई ग़म नहीं है,जब देखता हूँ तुमको, साँसे अटक जाती है l"
Hasai to hasi lav,
Radai to radi lav,
Sangraam chhe jindagi,
Ladai to ladi lav.