कभी बादल, कभी बारिश, कभी उम्मीद के झरने,
तेरे अहसास ने छू कर मुझे क्या-क्या बना डाला!
कभी कभी वक़्त के साथ सब ठीक
नहीं सब ख़तम हो जाता है...
कविता के कई मतलब हो सकते हैपर कविता कभी मतलबी नहीं हो सकती !!
"ना जाने क्यों इतनी बेचैनी बढ़ जाती है,कोई बात कभी जहन में अटक जाती है,वैसे तो सब बेहतर है, कोई ग़म नहीं है,जब देखता हूँ तुमको, साँसे अटक जाती है l"
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर..
हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा है..
Hasai to hasi lav,
Radai to radi lav,
Sangraam chhe jindagi,
Ladai to ladi lav.