बेहिसाब हसरतें
न पालिये
साहब
जो मिला है
उसे संभालिये..!!
कुछ यूँ हुआ कि जब भी जरुरत पड़ी मुझे, हर शख्स इतेफाक से मजबूर हो गया..
लगातार हो रही असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए,कभी कभी गुच्छे की आखरी चाबी ताला खोल देती है.
बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!
माँ जो भी बनाये उसे बिना नखरे किये खा लिया करो क्योकि दुनिया में ऐसे लोग भी है जिनके पास या तो खाना नहीं होता या माँ नहीं होती...