बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!
हसरत ए दीदार के लिये
उसकी गली मे मोबाईल की दुकान खोली ……
मत पूछो अब हालात ए बेबसी ऐ गालिब,
रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है …..
अपने इन् हाथों की लकीरों
को क्या देखता हो?
किस्मत तो उनकी भी होती है
जिनके हाथ नहीं होते…
इत्तेफाक से तो नहीं,
हम दोनों टकराये
कुछ तो साजिश
खुदा की भी होगी
Hum Bhi Maujood The Takdeer Ke Darwaje Pe,
Log Daulat Par Gire Aur Humne Tujhe Maang Liya.