बलबुध्धि विद्या देहू मोहि
सुनहु सरस्वती मातु
राम सागर अधम को
आश्रय तूही देदातु!!
कुछ अरमान उन बारीश कि बुंद कि तरह होते है,
जिनको छुने कि ख्वाहिश में,हथेलिया तो गिली हो जाती ,
पर हाथ हमेशा खाली रेह जाते है….
ना ठुकरा मेरी दोस्ती मुझे गरीब समज कर ए दोस्त,
यह दौलत वाले खरीदार तो होते है,
लेकिन वफादार नही
सर्दी में भी ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए,
ज्यादा ठंड लगे तो रजाई में घुस जाना चाहिए…
तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम