अब ज़िंदगी तेरे दिल में गुजारनी है,तो मुझे ये गुनाह भी कबूल है,सज़ा साल, दो साल का मत रखनाताउम्र ही मेरी मोह्हबत का मूल है l
रात भी नींद भी
कहानी भी
हाए क्या चीज़ है
जवानी भी
किसने दस्तक दी ये दिल पर कौन है
आप तो अंदर है फिर बाहर कौन है..
ये क्या कि सब से बयाँ दिल की हालतें करनी
'फ़राज़' तुझ को न आईं मोहब्बतें करनी