ये क्या कि सब से बयाँ दिल की हालतें करनी
'फ़राज़' तुझ को न आईं मोहब्बतें करनी
धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती ,
रात ढलती नहीं थम जाती है.
सर्द मौसम की एक दिक्कत है ,
याद तक जम के बैठ जाती है....
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
Jee Chahe Ki Duniya Ki Har Ek Fikr Bhula Kar,
Dil Ki Baatein Sunaun Tujhe Pass Bitha Kar.
दो मुलाकात क्या हुई हमारी तुम्हारी,निगरानी में सारा शहर लग गया।