कल जो मिली थी खुशबु-ऐ-इत्र,उसकी बात तो बता रहा हूँ lऔर जो महका गया,वो कोना-कोना रूह तक lवो एहसास जिए जा रहा हूँ l
"तुम्हारे हर झूठ को मैं सच मान बैठा हूँ,पता नहीं, मैं किस कदर प्यार कर बैठा हूँ l"
मेरे आंसुओं में तू ही छुपी रहती हैं,
रोज आंखों से तू ही तो बरसती हैं,
किसी गुलाब की बेटी है तू शायद,
इसलिए मुरझाकर भी महकती हैं.
मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं,
तेरी सूरत के सिवा मुझे कुछ याद नहीं,
मैं गुलाब हूँ तेरे गुलशन का,
तेरे सिवाएं मुझ पर किसी का हक़ नहीं.
हमारी हर रात तम्हारे साथ हो,
ओर प्यार मोहब्बत की बात हो,
हम लेले तुम को बाँहों में अपनी,
फिर बताये तुम ही ज़िन्दगी तुम ही हमारी कैनाथ हो,
गुड नाईट डिअर…
कोई पूछ रहा है मुझसे अब मेरी ज़िन्दगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है हल्का सा मुस्कुराना तुम्हारा!