ये कैसा अजब सा प्यार है जिस में ना मिलने की आस ना कोई तकरार है ..दूरियाँ इतनी की सही न जाएँ फिर भी निभाने की चाह बरक़रार है..
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है.
खुद में भी तलाश किया लोगों से भी पूछा तेरे दूर जाने की वजह आज तक नहीं मिली…
वो नहीं आते पर निशानी भेज देते हैख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देते हैकितने मीठे है उनकी यादो के मंज़रकभी कभी आँखों में पानी भेज देते है