"रोज हाँ या ना के बीच,
जदोजहद होती है,
फिर तुम्हें याद कर लेता हूँ,
फिर सफऱ की शुरआत होती है l"
तेरी मोहब्बत को तो पलकों पर सजायेंगे;
मर कर भी हर रस्म हम निभायेंगे;
देने को तो कुछ भी नहीं है मेरे पास;
मगर तेरी ख़ुशी मांगने हम खुदा तक भी जायेंगे।
नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में।
कभी कभी मिटते नही, चंद लम्हों के फांसले एहसास अगर जिन्दा हो,मिट जाती है दूरियाँ.
उसने कहा चले जाओ
मेरी ज़िन्दगी से,
मेने कहा कौन हो तुम
भाईसाहब!!