कैसे हुई पाण्डु की मृत्यु? पांडवों के जन्म की कहानी

कैसे हुई पाण्डु की मृत्यु? पांडवों के जन्म की कहानी

भीष्म ने किया. बाद में चित्रांगद की एक युद्ध में मृत्यु हो गई और विचित्रवीर्य का विवाह काशीनरेश की कन्याओं अम्बिका और अम्बालिका से करा दिया गया. जबकि काशीनरेश की बड़ी बेटी अम्बा पहले से राजा शाल्व से प्रेम करती थी अतः उन्हें शाल्व के पास भेज दिया गया लेकिन शाल्व ने उनको स्वीकार नहीं किया और वो वापस आकर भीष्म से विवाह करने की जिद करने लगी तब भीष्म ने अपने आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा के वजह से विवाह नहीं किया और अम्बा ने भगवान परशुराम को बुलाया तब भीष्म और परशुराम में भयंकर युद्ध हुआ. 

कई सालों तक ये युद्ध चला और स्वयं महादेव ने आकर दोनों को युद्ध रोकने को कहा. अम्बा भीष्म से प्रतिशोध लेने के लिए तपस्या करने चली गई. 

इधर विचित्रवीर्य के कोई संतान नहीं हुई और उसके कुछ दिनों बाद उसकी भी मृत्यु हो गई. अब वंश को बचाने के लिए अपने पुत्र वेदव्यास को बुलाया. वेदव्यास सत्यवती और ऋषि पराशर के पुत्र थे. वेदव्यास की योग शक्तियों से उन दोनों रानियों के एक पुत्र उत्पन हुए, बड़ी रानी का पुत्र जन्मांध था जिसे धृतराष्ट्र के नाम से जाना गया, छोटी रानी का पुत्र पाण्डु हुआ. साथ ही एक और पुत्र हुआ जो उनकी दासी के गर्भ से उत्पन्न हुआ उसका नाम पड़ा विदुर. 

धृतराष्ट्र अंधे थे इसलिए उन्हें राजा न बनाकर पाण्डु को राजा बनाया गया और उनका दो विवाह हुआ, कुंती और माद्री. विववाह के पश्चात् एक दिन वो शिकार खेलने गए तब उन्होंने हिरण समझकर ऋषि किंदम की हत्या कर देते है जब वो मृग बनकर अपनी पत्नी के साथ सहवास कर रहे थे. ऋषि ने पाण्डु को श्राप दे दिया और ऋषि किंदम के श्राप के अनुसार अगर पाण्डु कभी किसी भी स्त्री के साथ सहवास करते तो उनका मृत्यु हो जाता. इसलिए वो राज त्यागकर वन में चले जाते है तब उनकी दोनों पत्नियाँ भी साथ में जाती हैं. धृतराष्ट्र को कार्यकाली राजा बनाया जाता है और वो हस्तिनापुर के सिंहासन पर राजा बनकर बैठते है. इधर एक दिन कुंती अपने पति को ऋषि दुर्वासा के वरदान के बारे में बताती है और तब पाण्डु उस वरदान की शक्ति से पाँच पुत्रों की प्राप्ति करते है. जो क्रमशः इन देवताओं के अंश थे, युधिष्ठिर धर्मराज यम के, भीम पवन देव के, अर्जुन देवराज इंद्र के और नकुल-सहदेव अश्वनी कुमारों के. 

एक दिन अपनी पत्नी माद्री के रूप पर मोहित होकर पाण्डु ऋषि के श्राप को भूल गए और उनके साथ सहवास करने लगे तभी उनकी मृत्यु हो गई.