वैज्ञानिक क्यों नहीं सुलझा पायें चमत्कारी भीमकुण्ड का रहस्य?

वैज्ञानिक क्यों नहीं सुलझा पायें चमत्कारी भीमकुण्ड का रहस्य?

विज्ञान जिस प्रकार से तेज़ी से विकास कर रहा है उससे तो पता चलता है की वो दिन दूर नहीं जब वो सारे सवालों के जवाब ढूंढने में सफल हो जाएगी. विज्ञान की वजह से आज भले ही हम चाँद और मंगल पर पहुँच गए हो लेकिन इस ब्रह्माण्ड में आज भी ऐसे कई अनसुलझे रहस्य है जिसको वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए है. ऐसा ही एक बहुत ही पुराना रहस्य है भारत के मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले से 70 किलो मीटर दूर एक कुंड का, जिसे लोग भीमकुण्ड के नाम से जानते है. 

इस कुण्ड की गहराई मापने में आज तक किसी भी वैज्ञानिक को सफलता नहीं मिल पाई है. वैज्ञानिकों का कहना है इस कुण्ड की गहराई मापना सम्भव नहीं है. ये एक अनसुलझी पहेली की तरह है. 

इस कुण्ड के बारे में कई सारी पौराणिक कहानियाँ जुडी हुई है. जैसे इस कुण्ड से महाभारत की कहानी जुडी है. जो कि इस प्रकार है.... 

जब पांडव अपने अज्ञात वास पर थे तभी द्रोपदी समेत पांचों भाइयों को प्यास लगा लेकिन पानी की तलाश में वो खूब भटके लेकिन कहीं भी पानी नहीं मिला. प्यास से व्याकुल अपने भाइयों को देखकर भीम ने अपने गदे को जमीन पर पटक दिया और उसके बाद इस कुण्ड का निर्माण हुआ. इस कुण्ड का तभी से नाम भीमकुण्ड पड़ा. ध्यान से देखने पर पता लगता है कि इस कुण्ड का आकर भी गदे की तरह है. 

कुण्ड के अनसुलझे रहस्य 

इस कुण्ड से कई सारे अनसुलझे रहस्य भी जुड़े है जिन्हें कई बार वैज्ञानिकों ने सुलझाने का प्रयास किया लेकिन उनको हर बार निराशा ही हाथ लगी. बहुत प्रयास किया गया, वैज्ञानिकों की कई टीमें इलाके में आई और उन्होंने इससे जुड़े रहस्यों के जवाब ढूढ़ने का काम किया लेकिन उनको कुछ भी स्पष्ट पता नहीं चल पाया. वो रहस्य इस प्रकार से है... 

  • इस कुण्ड की गहराई मापी नहीं जा सकती. एक विदेशी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पानी के 200 मीटर अंदर तक कैमरा भेजकर इस कुण्ड की गहराई मापने के लिए कई सारे गोताखोरों को भेजा था. लेकिन उन्होंने बताया कि इस कुण्ड नीचे पानी का बहाव बहुत तेज़ है और इसके तल में जो मछलियाँ मौजूद है वो सिर्फ समुन्द्र में ही पाई जाती है. उनका वजन कई क्विंटल है. 
  • इस कुण्ड का पानी इसका दूसरा सबसे बड़ा रहस्य है, इसका पानी एक दम समुन्द्र की तरह नीला है और ये कभी ख़राब नहीं होता. ये एकदम गंगा की तरह पवित्र है.  वैज्ञानिकों के अनुसार इस कुण्ड के सतह में एक नीलम का बहुत बड़ा पत्थर है और इसके अंदर जाना न मुमकिन है. 
  • इस कुण्ड में कुछ ऐसे हलचल होते है कि इस कर पानी कभी कभी 15-20 फीट ऊँचा निकालने लगता हैं. आमतौर पर जब कोई प्राकृतिक आपद आने वाली होती तो इस कुण्ड का जल स्तर अपने आप बढ़ जाता और पानी 15-20 फीट ऊँचा निकलने लगता हैं. साल 2004 में जब सुनामी आई थी तब पहली बार लोगों इस बात की जानकारी हुई थी उसके बाद कई सारे मीडिया ने इस के रहस्य को लेकर रिपोर्टिंग की थी. 
  • साल 2005 में रूस से डिस्कवरी चैनल की एक टीम आई थी वो यहाँ कई दिनों तक रहे लेकिन वो महज़ 22 फीट तक ही इस कुण्ड के अंदर जा सके. उन्होंने बताया की इस कुण्ड का स्रोत जरूर समुन्द्र है जिससे सुनामी आने से पहले इसमें हलचल होता है. 
  • नेपाल और जापान में जब भूकंप आया था तब भी इस तरह की कई हलचल देखने को मिला था.