एकता में बल

एकता में बल

बहुत साल पुरानी बात हैं एक गांव में एक बूढ़ा किसान अपने चार बेटों के साथ रहता था. किसान ने पूरा जीवन परिश्रम करके खूब धन इकक्ठा किया था, लेकिन वो अपने चारों बेटों को लेकर बहुत ही परेशान रहता था. 

वो चारों हमेशा आपस में लड़ते रहते किसी की बात नहीं मानते थे. इसी तरह करते करते कई साल बीत गए किसान ने उन लोगों को बहुत समझाया की तुम सब आपस में मिलकर रहा करों तभी तुम मज़बूत रहोगे. लेकिन उन चारों में से किसी के भी समझ में बात नहीं आती थी. 

एक दिन किसान ने उन चारों को सबक सिखाने के लिए उन को अपने पास बुलाया और कहा, आज मैं तुम तीनों को एक कार्य दूंगा और जो भी उस कार्य को पूरा कर लेगा उससे ही मैं अपना सारा धन दूंगा और इस घर का मालिक बना दूंगा.  वो चारों राज़ी हो गए, इसके बाद उनके पिता ने उन चारों के हाथ में एक एक लकड़ी का गठ्ठर पकड़ा दिया. उन चारों से कहा, अब तुम चारों एक एक करके अपना अपना लकड़ियों का गठ्ठर तोड़ दो और जो भी इन्हें तोड़ देगा उसे ही सारा धन मिलेगा.  सभी भाई अपने घमंड और मूर्खता के नाशे में मस्त थे, सबसे पहले बड़े भाई ने अपने गठ्ठर तोड़ने के लिए ज़ोर लगाने लगा लेकिन वो उसे तोड़ने में न कामयाब रहा. उसने बहुत कोशिश की लेकिन उससे वो गठ्ठर नहीं टूटा और उसने हार मान ली और एक कोने में जा कर खड़ा हो गया. 

इसके बाद दूसरे भाई ने भी खूब प्रयास किया लेकिन उससे भी काम नहीं हुआ. धीरे धीरे किसान के चारों बेटों ने अपना अपना ज़ोर आजमाया लेकिन लकड़ी का गठ्ठर नहीं टूटा. इसके बाद किसान को उन चारों को एक गठ्ठर खोल के उसमें  से एक एक लकड़ी पकड़ा दी और उसे तोड़ने के लिए कहा. चारों भाइयों ने तुरंत उससे तोड़ दिया. 

फिर किसान ने उन चारों से कहा, तुम चारों मिलकर इस एक गठ्ठर को तोड़ने का प्रयास करो. उन चारों ने एक साथ मिलकर उसपर ज़ोर लगाया और वो तुरंत टूट गया. चारों की समझ में आ गया की उनके पिता ने ये काम क्यों दिया. उन्होंने उसी दिन से मिलजुल कर रहना शुरू कर दिया और कुछ सालों बाद उनके पिता की मृत्यु हो गई उन्होंने उनका विधवत अंतिम संस्कार किया. अब वो चारों भाई एक दूसरे के साथ मिलकर रहने लगे और अपने पिता के द्वारा दिए गए धन का सही उपयोग करके और अमीर हो गए. 


कहानी से सीखा:

इंसान को हमेशा एक साथ मिलजुल कर और सबसे प्रेम और स्नेह के साथ रहना चाहिए.