करवा चौथ: जानिए करवा चौथ से जुड़ी हुई पौराणिक कथा, समझिये इस व्रत की महत्व को

Karwa Chauth: Must Know The Story Behind This Festival And Its Significance

करवा चौथ का व्रत आमतौर नवविवाहित औरतें और सुहागने रखती हैं. नवविवाहित महिलाएं पहले साल से ही अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत रखना शुरू करती है. 

इस दिन भगवान शिव की सपरिवार पूजा का विधान हैं. साथ इस दिन चंद्रदेव की पूजा को महत्व दिया जाता है. मान्यताओं की अनुसार पति की लम्बी उम्र, अच्छी सेहत और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद पाने के लिए ये व्रत किया जाता है. नवविवाहित और सुहागिनों के अलावा कुंवारी लड़कियां भी अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को रख सकती हैं. इस साल करवा चौथ 24 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जायेगा. इस दिन करवा चौथ का व्रत रखा जायेगा. लेकिन क्या आप जानती है कि करवा चौथ का त्योहार क्यों मनाया जाता है? दरअसल इसके पीछे के महाभारत काल की कहानी छुपी है. जो इस प्रकार से है.... 

क्या है करवा चौथ व्रत की कथा?

एक बार पांचों पांडव जंगल से समय से घर पर नहीं लौटते है. तब द्रोपदी काफी ज्यादा परेशान हो जाती हैं. उसी समय भगवान श्रीकृष्ण वहां आ जाते है. तब वो उनसे अपनी परेशानी बताते हुए कहती हैं, हे सखा देखों न ये सभी अभी तक घर नहीं लौटे! कहीं उन पर कोई संकट तो नहीं आ गया? तब भगवान कृष्ण द्रोपदी को करवा चौथ के व्रत के बारे में बताते है. साथ ही उन्हें वही कहानी सुनाते है, जो भगवान शंकर माता पार्वती को सुनाई थी. वो कथा इस प्रकार से है...... 

karwa Chauth kab Hai

उज्जैन में एक साहूकार अपनी पत्नी,  सात बेटे, बहुओं और एक बेटी के साथ रहता था. उसने अपनी बेटी का विवाह धर्मवान नामक एक नवजवान साहूकार से कर दी. सात भाई अपनी इकलौती बहन से बहुत प्यार करते थे. एक बार जब बहन ससुराल से मायके आई तो उसने करवा चौथ का व्रत रखा था. पूरे दिन उसने कुछ नहीं खाया या पीया था. जब उसके भाइयों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने उसे मानने की खूब कोशिश की. लेकिन वो नहीं मानी और उसने कहा कि वो चाँद निकलने के बाद ही खाना खायेगी.

 मगर भाइयों को उसकी ये हालत देखी नहीं गई और उन्होंने उसको बिना बताये. गाँव के बाहर पीपल के पेड़ पर एक चलता हुआ दीपक रख दिया. जो दूर से एकदम चौथ का चाँद लग रहा था और बहन से आकर कहा कि, देखो चाँद निकल आया. बहन ने अपने भाइयों पर विश्वास करके अपना व्रत खोल दिया. लेकिन इसके बाद उसके पति की मृत्यु हो गई. बाद में उसे अपने भाइयों के छल के बारे में पता चला. तब उसने भगवान गणेश की आराधन करनी शुरू की. कई दिनों की प्रार्थाना के बाद भगवान गणेश उससे प्रसन्न होकर, उसके पति को जीवन दान देते हैं. इसके बाद से वो हर साल पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत पालन करने लगी. 

तब से लेकर आज तक सुहागिने अपने पति की लम्बी उम्र के लिए इस व्रत का पालन कर रही हैं.