अकेले में तुम्हारी याद आना अच्छा लगता है
तुम्ही से रूठना तुमको मनाना अच्छा लगता है।
जाने कब जाएगी ये आदत मेरी
रूठना तुमसे और औरों से उलझते रहना
Jane kan jayegi ye aadat meri
Roothna tumse aur auron se uljhte rahna
धोखा ना देना कि तुझपे ऐतबार बहुत है,
ये दिल तेरी चाहत का तलबगार बहुत है,
तेरी सूरत ना दिखे तो दिखाई कुछ नहीं देता,
हम क्या करें कि तुझसे हमें प्यार बहुत है।
जुबां खुली पर कुछ कह न पाए , आँखों से चाहत जता रहे थे !
सुबह की चाहत लिए नज़र में , रात नज़र में बिता रहे थे !!
तैरना तो आता था हमें मुहब्बत के समंदर में
लेकिन जब उसने हाथ ही ना पकड़ा तो डूब जाना ही अच्छा था