वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह,काश... मैं भी किसी शाम का मंज़र होता।
देखे चाँद ना सूरज ,ये दिल बस तेरा मुरीद जो गया lजो हुए जब-जब तुम्हारे दीद,वो हर लम्हा मेरे लिए ईद हो गया l
कोई तुमसे सीखे.....मौजूद रहना मुझ में !!
"सारे गुनाहों का हिसाब,क्या एक दिन में ले लेगा,ऐ खुदा अभी बक्श दे,कुछ काम जरुरी बाकी है l"