जिस्म छू के तो सब गुज़रते हैं,रूह छूता है कोई हजारों में…
जमाना अगर हम से रूठ भी जाये तो,
इस बात का हमें गम कोई न होगा,
मगर आप जो हमसे खफा हो गए तो,
हम पर इस से बड़ा सितम न कोई होगा।
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,ज़्यादा भीगना मत
अगर धुल गयी सारी ग़लतफ़हमियाँ,तो बहुत याद आएँगे हम!!
भले ही किसी गैर की जागीर थी वो,
पर मेरे ख्वाबों की भी तस्वीर थी वो,
मुझे मिलती तो कैसे मिलती,
किसी और के हिस्से की तक़दीर थी वो
ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..