ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..
जिन फूलों को संवारा था
हमने अपनी मोहब्बत से,
हुए खुशबू के काबिल तो
बस गैरों के लिए महके।
आँधियो से कह दो की "औकात" में रहे,इस हफ्ते में तीसरा "कच्छा" गायब हुआ है...!!!
तुम्हें पहली बारिश पसंद है और मुझे तुमतुम्हें हँसना पसंद है मुझे हँसते हुए तुम,तुम्हें हमसे बात करना पसंद है, मुझे बोलते हुए तुमतुम्हें सब कुछ पसंद हैं और मुझे बस तुम...
तेरे बाद हमने इस
दिल का दरवाजा खोला ही नहीं
वरना बहुत से चाँद आये
इस घर को सजाने के लिए