दिल की धड़कन को कौन समझेगा।
मेरी उलझन को कौन समझेगा।
एक बेटी नहीं अगर घर में
घर के आंगन को कौन समझेगा।
ये अलग बात है दिखाई न दे,मगर शामिल ज़रूर होता है,खुदकुशी करने वाले का भी,कोई न कोई कातिल जरूर होता है
ये अलग बात है दिखाई न दे,
मगर शामिल ज़रूर होता है,
खुदकुशी करने वाले का भी,
कोई न कोई कातिल जरूर होता है
मेरी यादों में आती रही रात भर,सोते -सोते जगाती रही रात भर lकहता किससे और किससे मैं क्या बोलता,प्यार से वो रुलाती रही रात भर l
थोड़ा संभल कर चलते है,थोड़ा लापरवाह हो जाते है,डरते थे जिस राह, जाने में,उसी सफ़र में खो जाते है l
दारू या दवा ना जाने कौन बचाएगा,
कुछ दिनों की बंदी है, वक़्त कट जायेगा l"