तमाम हसरतों को आराम देकर,फिर बैठे हैं किसी कोने में चाय लेकर।
"तुम्हारे साथ जिंदगी आसान लगती है,ऐसे जाने क्यों, बहुत परेशान लगती है l"
"हर झूठ मेरे मन से, ख़त्म होते जा रहे है,वो जाने कैसे मेरे सच के, करीब आ रहे है l"
सुना था बदल जाती है आदतें भी वक़्त के साथ,पर रूह तो जिस्म छोड़ती है बस मौत आने के बाद,
“आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.”
मुहब्बत खूबसूरत होती होगी किसी और ज़माने में
हमपे जो गुजरी है वो हम ही जानते हैं