दिल को छू जाती है यूँ रात की आवाज़ कभी
चौंक उठते हैं कहीं तूने पुकारा ही न हो
वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह,काश... मैं भी किसी शाम का मंज़र होता।
"बात किसी से भी हो, बातों में तुम ही होती हो,राह कोई भी हो, हमसफ़र तुम ही होते हो,खुद से भी बातें करता हूँ, हर पल तुम्हारी,सो जाऊँ तो भी , ख़्वाबों में तुम ही होती हो l"
मुझे ना सताओ इतना कि मैं रुठ जाऊं तुमसे,
मुझे अच्छा नहीं लगता अपनी साँसों से जुदा होना।
आपकी पलकों पर रह जाये कोई!
आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई!
चलो वादा रहा भूल जाना हमें!
अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई
जो भी आता है एक नयी चोट दे के चला जाता है ए दोस्त,….
मै मज़बूत बहोत हु लेकिन कोई पत्थर तो नहीं,….