खुसनसीब हैं वो जिनके घर रिश्ते आते हैं
वरना हमारे घर तो सिर्फ वारंट ही आते हैं
सुरमई शाम का काजल लगा के रात आई है,
पलकें यूँ झुकीं हैं मानों चाँद पर बदरी छाई है!
रूह मुझे दो, जिस्म भले ही उसे देदो।
जिस्म तो खो दोगे जनाब, फिर भी रूह तो महफ़ूज़ होगी हमारे पास।
किसी बहाने पास मेरे रुक जाना,ख्वाब में भी मुझ से दूर ना जाना,बात तेरे जाने की रुला गई मुझे,मरने से पहले मुझको मार ना जाना l
"ना वो पूछती है, ना मैं बताता हूँ,अचानक मैं गुम-सा हो जाता हूँ,फिर मिलता हूँ पहली बार की तरह,इश्क़ फिर नया उसी से कर जाता हूँ l"
"कभी मेरे जाने पे लड़ती है वोकभी खुद तन्हा छोड़ जाती है,