ज़ुल्फ़ तेरी एक घनेरी शाम
की बदल है,
जो हर शाम रंगीन कर दे, ऐसी
वो तेरी आँचल है !!
खुद से खुद को खोने लगा हूँमुझे लगता है मै पागल होने लगा हूँबिना वजह हँसते हँसते रोने लगा हूँतेरे जाने के बाद से ही पागल होने लगा हूँ
"कोई गीत ऐसे नहीं रुला जाता है,संग बीते पलो को याद दिला जाता है,नाचने लगती है, दो बोलती आँखें,कभी तेरे नाम से पलक गीला हो जाता है l"
"ज़िंदगी तेरे किताब को, शायद कभी ना पढ़ पाऊँगा,एक शब्द पे ठहरता हूँ, तो दिन गुजर जाता है l"
"थक सी गई है नज़र, इंतजार में उसके,अब दिखे वो तो आँखों का रविवार हो l"